निराश सौतेली माँ ध्यान आकर्षित करती है। किशोर का आत्म-केंद्रित रवैया उसे चिढ़ाता है। वह उस पर अपना गुस्सा निकालती है, लगातार खुद को खुश करती है। उसकी बेरुखी उसकी वासना को भड़काती है, जिससे एक जंगली, निर्बाध मुठभेड़ होती है। इस तीव्र, भावुक मुठभेड़ में वास्तविकता कल्पना से मिलती है।